West Bengal Teacher Recruitment : शिक्षक भर्ती घोटाला कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद्द कीं नियुक्तियां, लौटानी होगी सैलरी इस वक्त की सबसे बड़ी खबर निकल कर आ रही है। कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में राज्य स्तर पर 2016 में चयनित अध्यापक भर्ती को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट में टीचर भर्ती रद्द करने के अलावा अवैध नियुक्ति पर काम कर रहे शिक्षकों से सात आठ साल के दौरान मिली सैलरी को भी वापस लेने के निर्देश दिए हैं।
जी हम बात करेंगे पश्चिम बंगाल में 2016 में हुई शिक्षक भर्ती की जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में जांच करने और 3 महीना में एक रिपोर्ट छासोंपने का एक निर्देश दिया गया था। 2016 में की गई शिक्षक भर्ती में 25753 खाली पदों पर लगभग 25 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी।
शिक्षकों को वेतन लौटाने का आदेश
2016 में हुई शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों को जो वेतन दिया गया था। उसे भी लौटने का आदेश दिया गया है। इन सभी शिक्षकों का हफ्ते के अंदर 12% ब्याज की दर से पूरा वेतन लौटाने के आर्डर जारी किए गए हैं। इसके लिए कोर्ट ने जिला अधिकारियों को पैसा वसूलने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। हाई कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग को दोबारा से नई नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ में पुरानी नियुक्तियों को पूरे तरीके से रद्द कर दिया गया है ।
कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि जिन लोगों को भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त किया गया था, उन्हें 4 सप्ताह के भीतर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वेतन लौटाना होगा।
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इस शिक्षक भर्ती का वर्ष 2014 में विज्ञापन जारी किया गया था। यह भर्ती पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन बोर्ड के द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए निकल गई थी। इस भर्ती के लिए प्रक्रिया 2016 में शुरू की गई जिसमें घोटाले सहित कई शिकायत के सामने आ रही थी। इस भर्ती में यह दावा किया जा रहा था कि जिन उम्मीदवारों की कम नंबर थे, उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर रखा गया था और जिनका नाम लिस्ट में था ही नहीं उन्हें भी नौकरी प्रदान की गई थी।
बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला?
पश्चिम बंगाल में एससी अर्थात स्कूल सर्विस कमीशन बोर्ड के द्वारा 2014 में 25753 खाली पदों पर विज्ञापन जारी किया गया था। यह भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई। उस समय पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। अभ्यर्थियों के द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। जिसमें कहा गया कि कम नम्बर वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में स्थान दिया गया है। जिनका नाम मेरिट में है ही नहीं, उनको भी नियुक्ति दी गई है। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। मामले में कई जगह पर छापेमारी की गई। बाद में ED ने जुलाई 2023 में अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी और चटर्जी को इस मामले में गिरफ्तार किया।
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